
Aptavani Shreni 14 (Bhaag-2): आप्तवाणी श्रेणी १४ (भाग-२)
Religion, Spiritualité
Audio avec voix de synthèse
Résumé
इस आप्तवाणी में परम पूज्य दादाश्री द्वारा अनुभव किए गए आत्मा के गुणधर्मो और उसके स्वभाव का वर्णन है। थ्योरिटिकल तो है पर प्रेक्टिकली वे खुद उन गुणों का उपयोग कैसे कर पाए, उसका वर्णन है। उनके वर्तन में वह… आ चुका था और हमें भी इनका उपयोग करके आत्मा में आ जाने की अद्भुत समझ दे पाए। और उन गुणों का उपयोग करके सांसारिक परिस्थितियों में वीतरागता कैसे रखी जा सकती है, वे बातें सिद्ध स्तुति के चेप्टर में हमें प्राप्त होती हैं । लौकिक मान्यताओं के सामने वास्तविक्ता क्या है और मान्यताओं की विविध दशाओं में ऐसे गुणों व स्वभाव का उपयोग कैसे किया जा सकता है, ज्ञानी पुरुष में ऐसे गुण व स्वभाव यथार्थ रूप से कैसे बरतते हैं और उससे भी आगे तीर्थंकर भगवंतो को सर्वोतम दशा में कैसा रहता होगा, ये सारी बातें जो दादाश्री के श्रीमुख से निकली हैं, वे सब यहाँ समाविष्ट हुई हैं।